हिन्दी कहानी
में मार्क्सवादी यशपाल हिन्दी कहानी के क्षेत्र में उतरे। इन्होंने सामाजिक जीवन
बूढ़े माता पिता का सम्मान दिल को छूने वाली कहानी
शांति ने ऊबकर काग़ज़ के टुकड़े-टुकड़े कर दिए और उठकर अनमनी-सी कमरे में घूमने लगी। उसका मन स्वस्थ नहीं था, लिखते-लिखते उसका ध्यान बँट जाता था। केवल चार पंक्तियाँ वह लिखना चाहती थी; पर वह जो कुछ लिखना चाहती थी, उससे लिखा न जाता था। भावावेश में कुछ-का-कुछ उपेन्द्रनाथ अश्क
में आयी इसका यहाँ पर विस्तृत विवेचन किया गया है। यह विधा वर्तमान में पूर्ण रूप
प्रमुख कहानियाँ हैं - चरणों की दासी, रोगी, परित्यक्ता, जारज, अनाश्रित, होली, धन का - अभिशाप, प्रतिव्रता या पिशाची, एकाकी, मैं,
खजूर के वृक्षों की छोटी-सी छाया उस कड़ाके की धूप में मानो सिकुड़ कर अपने-आपमें, या पेड़ के पैरों तले, छिपी जा रही है। अपनी उत्तप्त साँस से छटपटाते हुए वातावरण से दो-चार केना के फूलों की आभा एक तरलता, एक चिकनेपन का भ्रम उत्पन्न कर रही है, यद्यपि है सब अज्ञेय
बूढा आदमी, युवा पत्नी और चोर : पंचतंत्र की कहानी
कहानियाँ धीरे-धीरे यथार्थ की और उन्मुख हुई, लेकिन इस यथार्थ का रूप ऐसा नहीं था जैसा कि प्रेमचन्द की
विकास में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका उपन्यास सम्राट मुशी प्रेमचन्द ने निभायी। इस
गत वर्ष जब प्रयाग में प्लेग घुसा और प्रतिदिन सैकड़ों ग़रीब और अनेक महाजन, ज़मींदार, वकील, मुख़्तार के घरों के प्राणी मरने लगे तो लोग घर छोड़कर भागने लगे। यहाँ तक कि कई डॉक्टर भी दूसरे शहरों को चले गए। एक मुहल्ले में ठाकुर विभवसिंह नामी एक बड़े ज़मींदार मास्टर भगवानदास
'क्यों बिरजू की माँ, नाच देखने नहीं जाएगी क्या?' बिरजू की माँ शकरकंद उबाल कर बैठी मन-ही-मन कुढ़ रही थी अपने आँगन में। सात साल का लड़का बिरजू शकरकंद के बदले तमाचे खा कर आँगन में लोट-पोट कर सारी देह में मिट्टी मल रहा था। चंपिया के सिर भी चुड़ैल मँडरा फणीश्वरनाथ रेणु
किया गया है। इस सम्बन्ध में आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी कहते हैं -
मार्मिक अभिव्यक्ति देती है। इनकी कई लोक प्रिय कहानियाँ हैं जिनमें 'हार की जीत', सलबम, आशीर्वाद, न्याय मंत्री, एथेन्स का
सारी दुनिया कि लालची नज़रों से छुपा एक छोटा पर संपन्न देश है, "डीपलैंड"। शिक्षा और तकनीकी में पृथ्वी पर बसे अन्य देशों से कहीं आगे है, "डीपलैंड"। प्रशांत महासागर के गर्भ में बसा यह देश अपनी तकनीक के ...